Friday, February 27, 2015

dedicated to daughters

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..बेटियाँ.. 
..पीहर आती है..
..अपनी जड़ों को सींचने के लिए..
..तलाशने आती हैं भाई की खुशियाँ..
..वे ढूँढने आती हैं अपना सलोना बचपन..
..वे रखने आतीं हैं..
..आँगन में स्नेह का दीपक..
..बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर..
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..बेटियाँ..
..ताबीज बांधने आती हैं दरवाजे पर..
..कि नज़र से बचा रहे घर..
..वे नहाने आती हैं ममता की निर्झरनी में..
..देने आती हैं अपने भीतर से थोड़ा-थोड़ा सबको..
..बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर..
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..बेटियाँ..
..जब भी लौटती हैं ससुराल..
..बहुत सारा वहीं छोड़ जाती हैं..
..तैरती रह जाती हैं..
..घर भर की नम आँखों में..
..उनकी प्यारी मुस्कान..
..जब भी आती हैं वे, लुटाने ही आती हैं अपना वैभव..
..बेटियाँ कुछ लेने नहीं आती हैं पीहर..
Dear Papa....

"बेटी" बनकर आई हु माँ-बाप के जीवन में,
बसेरा होगा कल मेरा किसी और के आँगन में,
क्यों ये रीत "रब" ने बनाई होगी,
"कहते" है आज नहीं तो कल तू "पराई" होगी,
"देके" जनम "पाल-पोसकर" b
जिसने हमें बड़ा किया,
और "वक़्त" आया तो उन्ही हाथो ने हमें "विदा" किया,
"टूट" के बिखर जाती हे हमारी "ज़िन्दगी " वही,
पर फिर भी उस "बंधन" में प्यार मिले "ज़रूरी" तो नहीं,
क्यों "रिश्ता" हमारा इतना "अजीब" होता है,
क्या बस यही "बेटियो" का "नसीब" होता हे??

"Papa" Says"...
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बहुत "चंचल" बहुत
"खुशनुमा " सी होती है "बेटिया".
"नाज़ुक" सा "दिल" रखती है "मासूम" सी होती है "बेटिया".
"बात" बात पर रोती है
"नादान" सी होती है "बेटिया".
"रेहमत" से "भरपूर"
"खुदा" की "Nemat" है "बेटिया".
"घर" महक उठता है
जब "मुस्कराती" हैं "बेटिया".
"अजीब" सी "तकलीफ" होती है\
जब "दूसरे" घर जाती है "बेटियां".
"घर" लगता है सूना सूना "कितना" रुला के "जाती" है "बेटियां"
"ख़ुशी" की "झलक"
"बाबुल" की "लाड़ली" होती है "बेटियां"
ये "हम" नहीं "कहते"
यह तो "रब " कहता है. . क़े जब मैं बहुत खुश होता हु तो "जनम" लेती है
"प्यारी सी बेटियां"

Wednesday, February 18, 2015

Ganesh ji aarati - Shendur laal chaadaayo

शेंदुर  लाल  चढायो  अच्छा  गजमुख  को
दोंदिल  लाल  बिराजे  सुत  गौरीहर  को
हाथ  लिए  गुण लड्डू  साई सुरवर को
महिमा  कहे  न  जाए  लागत  हूँ  पद  को 
जय देव जय देव


जय देव जय देव
जय  जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारोदर्शन मेरा मन रमता
जय देव जय देव
जय देव जय देव



भावभगत से कोई शरणागत आवे
सम्पति संतति सबही भरपूर पावे
ऐसे तुम महाराज मुझको अति भावे
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे
जय देव जय देव

जय देव जय देव
जय  जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारोदर्शन मेरा मन रमता
जय देव जय देव
जय देव जय देव

घालिन लोताङ्गन  वंदिन चरण डोळ्यांनी पाहीं रूप तुझे ।
प्रेम आलिङ्गिन आनंदन पूजिन भावें ओवाळीं म्हाने नमा  । ।

त्वमेव  माता पिता त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव विद्या  द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देव । ।


काएं वाच मनसेंद्रियैर्वा बुद्ध्यात्मना वा प्रकृतिस्वभावा ।
करोमि यद्यत् सकलं पारसमई नारायणायेति समर्पयामि । ।

अच्युतम केशवं रामनारायणं कृष्ण दामोदरं वासुदेवं हरि  ।
श्रीधरम माधवं गोपिकावल्लभं जानकीनायकं रामधरान्द्रम भजे  । ।

हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण  हरे हरे  । 

हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण  हरे हरे  ।

हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण  हरे हरे  । 

Rudhraashtak - Namamee shameeshan Nirvan roopam

Rudrashtak

Namaameeshameeshaan nirvana roopam, vibhum vyaapakam brahma veda swaroopam